परिचय
पातालकोट के बारे मे बहुत कुछ सुन रखा था वहाँ जाने की बहुत दिनो से सोच रहे थे तो इस संडे 11 तारीख को हम चल पड़े अपना कैमरा और हैड बैंग लेकर अकेले ही वहाँ हम पहली बार जा रहे थे इसलिए कुछ पता ना था कैसे पहुँचना है ! फिर हमने वहाँ के जनपद पंचायत ceo sir को फोन लगाकर पातालकोट तक पहुँचने के लिए व्यवस्था करने को बोले और उन्होने हमारे लिये व्यवस्था करवा दी हम चल पड़े अपनी मंजिल की और!
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वहाँ पहुँच कर ऐसा लगा मानो धरती के भीतर बसी ये अलग ही दुनिया हो सतपुड़ा की पहाडियों मे करीब 1700 फुट नीचे बसे है ये गांव पातालकोट तकरीबन 89 वर्ग km क्षेत्र में फैली हुई सह घाटी है यहाँ पर 12 गाँव है इनमे कई गांव ऐसे है जहाँ आज भी पहुँचना मुश्किल है ,यह लोग भारिया और गोंड आदिवासी समुदाय के है ! इनकी जरुरते भी सीमित है ,इनका खान-पान ,रहन-सहन,दारु-दवा सब कुछ पूर्णता जंगल और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है !
पहुँच मार्ग
हमारे छिंदवाड़ा से दूरी लगभग 77 km छिंदवाड़ा से बीजौरी से पातालकोट के लिये रास्ता कट जाता जो 22 km है पहले यहाँ पर मार्ग नही था पहाड़ी से ही लगभग सात km नीचे उतरना पड़ता था एक साल ही हुआ है यहाँ पर पक्की रोड बने जिससे अब गांव में अपनी गाड़ी से पहुँचा जा सकता है !तो हम चल पड़े गाडी से बीजौरी से राजा गुफा तक जो छिंदी नाम के गाँव से रास्ता राजा की खोह के लिये कट जाता है जो 2 km का ट्रेकिंग रुट है ! अगर आप सब पचमढ़ी से आयेगे तो लगभग 100 km पड़ेगापातालकोट एवं राजा गुफा जो बड़ा ही कठिन मार्ग है
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यहाँ पर कब आया जाये
यहाँ पर आने का सबसे अच्छा वक्त जुलाई से सितंबर का है आपको सारे रास्ते प्राकृति का सौंदर्य झरने बरसाती नदियां देखने को मिलेगा जो अदभुत होगा ! राजा गुफा में नीचे उतरने के लिये भी यही समय उपयुक्त है क्योकि इस मौसम मे आप सारे रास्ते छोटे छोटे कई झरनों को पार करते हुये जायेंगे एवं पहाड़ियों की चोटी से नीचे गिरते हुये पानी के अदभुत नजारे देख पायेगे जो आपको सुखद अनुभूति प्रदान करेगा हमे तो ये सब नही मिला देखने को क्योकि हम गरमी के मौसम मे गये, कोशिश रहेगी दुबारा राजा गुफा में जाने की सितम्बर या अक्टूबर में
खाने और रहने की व्यवस्था
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यहाँ पर रास्ते मे खाने के लिये कुछ खास नही मिलता है ,जो मिलता भी है तो बड़ी गंदगी रहती है जिसके खाने से हम बीमार पड़ सकते है, इसलिए अपने खाने के लिये कुछ रख ले !अगर रुकने का मन है तो आपको तामियां ब्लॉक में आकर ही रुकना होगा या फिर छिंदवाड़ा में !पचमढ़ी से बस का किराया लगभग तामियां तक का 100 रुपए ! एवं बीजौरी से फिर अलग व्यवस्था करनी पडेगी पातालकोट के अन्दर गाँव तक पहुँचने की !हाँ एक जरुरी बात और वहाँ पहुँच कर लोकल गाँव वाले किसी एक को पकड़ लिजीयेगा 100 ,200 रुपए देकर वो आपको पूरी जानकारी देगा एवं प्लेस घूमा देगा ! अगर नीचे नहीं जाना चाहते है तो एक व्यू पॉइंट है बीजौरी मे जहाँ से पातालकोट का पूरा नजारा दिखता है , पर राजा गुफा देखने के लिये आपको नीचे गाँव तक जाना ही होगा
भरिया जनजाति
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यहां पर भरिया जनजाति पाई जाती है जिसके बारे में ये कहां जाता है कि ये लोग राजा का समान ढोने का कार्य किया करते थे जब राजा किसी यात्रा में जाता था तब ये समान लेकर चला करते थे राजा का | तो एक बार गौंड राजा यहां से गुजर रहा थे तो यहां पर विश्राम के लिए राजा रूक गये और फिर अगली यात्रा के लिए आगे बढ़ गये तो ये भार ढोने वाले समान सहित यही रूक गये राजा के लौट आने के इंतजार में तब से ही इनकी पीढ़ी यही पर निवास करने लगी | इनको भरिया जन जाति कहां जाने लगा पातालकोट में आपको सिर्फ यही जनजाति पाई जाती है| और जनजातियों से ये जनजाति से बिल्कुल भिन्न है इनका रंग साफ नाक तीखी आंखें चमकदार मतलब कुल मिलाकर खूबसूरत जनजातियों में इनको गिना हमने | और इसका कल्चर हम सब से बहुत ही अधिक खुले विचार ये कह सकते हैं ये लोग बहुत ही एडवांस सोच रखते हैं | महिलाओं का शराब पीना दिन दहाड़े, कोई बड़ी बात नहीं और भी बहुत सी बातें हैं जिसे हम यहां नहीं लिखना चाहते खूलेआम —— पर इतना कहेंगे अगर कुंवारी लड़की से कोई गलती हो जाये तो यहां पर बात का बतंगड़ नहीं बनता ना कोई काना फुसी होती कुछ दिनों बाद आपस में परिवार के लोग बैठकर मामला सुलझा लेते और लड़की अपने घर विदा हो जाती दूहरे घर | एक बात और ये जब आपस में मिलते हैं तो बड़े छोटे लोग तो पैर नहीं पढ़ते गले मिलते , माथे को चूमते, एक दूसरे के हाथों को बड़े ही स्नेह से थामते है मतलब पैर पड़ने जैसी प्रथा नहीं है शायद इनमें
हमारे सफर का विवरण
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हम तो शनिवार की रात को ही छिंदवाड़ा से अपने भाई के यहाँ न्यूटन निकल पडे और रात को नौ बजे अपने रिश्ते के भाई यहाँ पहुँच गये थे ! भाभी ने खाना बना कर रख लिया था पहुँच कर हमने थोडी देर बैठकर बात किये उसके बाद गरमा गरम खाना भाभी ने खिलाया और हम खाना खा कर सो गये !फिर सुबह उठकर नौ बजे भाई के घर से पोहा खाकर निकल पड़े अपने तय किये गये रास्ते की और ! न्यूटन से हमने बस पकड़ी जिसका किराया 20 रुपए एवं न्यूटन से बीजौरी आधा घंटे में पहुंचा दिया ! और फिर वहाँ से हमे गाड़ी मिल गई जिसकी व्यवस्था जनपद पंचायत ceo sir ने की थी फिर हम निकल गये अपने तय किये स्थान की और ! है तो 12 गाँव वहाँ पर हमे सिर्फ राजा गुफा तक ही जाना था तो चिमटीपुर , छिदी, कारेआम होते हुये राजा गुफा तक हम पहुँच गये ! वहाँ निकले तो अकेले ही थे पर रास्ते में करवा मिलता गया और मैं से हम लोग हो गये !एक बात और जब हम लोग पातालकोट जा रहे थे तो रास्ते में गाँव वाले जामुन तोड़ रहे थे खाने के लिये तो गाड़ी रोके और रोड किनारे ही बैठ गये जामुन खाने जो बड़े ही मीठे थे ! राजा की गुफा में पहुँचे तो देखे वहाँ पर और भी लोग थे जो नीचे जा चुके थे जो हमे रास्ते में ही मील गये थे ! कुल मिलाकर कहा जाये तो हमने अपनी रविवार की पूरी छुट्टी मनमौजी की तरह जंगल पहाडों में घूमते हुये बिताये एवं शाम के 5.30 तक अपने भाई के घर वापस आ गये ! आते ही भाभी ने चाय के लिये पूछा तो हमने कहा चाय नही खाना ला दो खाना खा कर एक घंटे आराम किये और फिर वापस अपने घर छिंदवाड़ा एक घंटे मे वापस पहुँच गये मुँह हाथ धोकर नींद की आगोस में समा गये ! थक जो गये थे बहुत ! कुल मिलाकर सफर बेहद ही शानदार रहा !छिंदवाड़ा से पातालकोट की दूरी 77 km पहुँचने मे समय 2 घंटे बस से एवं किराया बीजौरी तक का 40 रुपये !बीजौरी से पातालकोट तक जाने के लिये खुद ही कोई व्यवस्था करनी होगी किराये की गाड़ी या आटो ! वैसे जहाँ तक सड़क है वहाँ तक गाड़ी आते जाते तो दिखी पर एक दो ही वापसी में गाडी मिलना मुश्किल वैसे पुरुषों को कोई तकलीफ नही होगी आप सब तो किसी भी बंदे से लिफ्ट ले सकते हो और कोई ना कोई साधन आप पुरुषों को बीजौरी गाँव तक मिल ही जायेगा जाने के लिये भी और वापस आने के लिये भी !
तो मानसून में पधारे हमारे प्रदेश मध्यप्रदेश पातालकोट में